#नारी तु नारायणी

#नारी तु नारायणी

हर युग में अग्निपंथ पर चलती,
हर पंथ पुष्प बिखेरती चलती ।

हर भेद के कठरे में खड़ी,
हर भेद को मिटाती चलती।

उच्च कोटि की हुई
पर निम्न की परिभाषा ना जानती।

बस,जान के है हारी,
अग्निपरीक्षा जब जब हुई,
सब पर हुई है भारी ।

बात समता की जहां हुई,
बनी नारायणी वहां है नारी।

                     महेक परवानी

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